ढोडापुर गेट
यह ग्वालियर किले का तृतीय द्वार है जोकि ढोड़ापुर गेट के नाम से प्रसिद्ध है इस गेट के बारे में ज्यादातर लोग जानते ही नहीं है ज्यादातर लोग सिर्फ यह जानते हैं कि ग्वालियर किले के लिए सिर्फ दो गेट हैं एक किला गेट जो की हजीर की ओर है जिसे हम ग्वालियर गेट या आलमगिरी द्वार के नाम से जानते हैं यह दरवाजा मुगल साम्राज्य के बादशाह औरंगजेब ने बनवाया था ऐसे ही एक दरवाजा है जोकि कोटेश्वर मंदिर की ओर खुला हुआ है जिसे हम ढोड़ापुर गेट के नाम से जानते हैं जो कि अब बंद कर दी गई है इस गेट से कोई भी किले में प्रवेश नहीं कर सकता इसका दरवाजा सरकार ने बंद कर दिया है
Honor 20i |
ढोडापुर गेट का रहस्य
ढोड़ापुर गेट एक खुफिया रास्ता है जिसके बारे में कोई नहीं जानता था इस गेट के बारे में राजा और वहां के मंत्री ही जानते थे जब भी किले पर हमला होता था तो राजा वहां पर रहने वाली स्त्री बच्चों को इस गेट से बाहर निकाल देते थे इस गेट से प्रवेश करने पर एक बड़ा दरवाजा है जोकि बहुत ही सुंदर और भव्य कला का प्रदर्शन किया गया है आगे बढ़ने पर जंगल जैसा रास्ता है फिर एक मंडप है जिसके पास में कुछ धरती में खुदे हुए गडे है जिनमें शायद किले के निर्माण के लिए चुना मिलाया जाता होगा वहां से आगे बढ़ने पर चट्टान के बगल से छोटा सा द्वार है जिससे आगे बढ़ने पर ढोड़ापुर गेट का द्वितीय द्वार है जिसमें ऊपर दो मंदिर टाइप अलमारी बनी हुई है जिससे गेट की शोभा में चार चांद लगाती हैं और इस गेट को खूबसूरत बनाते हैं जिस में प्रवेश करने के बाद बहुत ही सुंदर तरीके से सीढ़ियां हैं जोकि पहले सीधी जाती हैं फिर 25 से 30 सीड़ियां चढ़ने के बाद 25 से 30 सीड़िया राइट की तरफ है उन्हें चढ़ने के बाद तृतीय द्वार मिलता है जोकि दोनों द्वारों से और भी कहीं अधिक सुंदर है इसकी शोभा अपने आप में खूबसूरती का नजारा दिखाती है इससे पहले एक दीवार है जो कि किसी चट्टान से कम नहीं है इसे तोड़ना नामुमकिन है इस दीवार की ऊंचाई लगभग 20 फुट होगी जो कि बिल्कुल सीधी है तृतीय द्वार को प्रवेश करने के बाद हमें चारों तरफ जंगल दिखाई देता है जो कि वास्तव में जंगल नहीं है पहले यह जगह बहुत साफ होती होगी यहां पर बहुत पुरानी शौचालय भी बनी हुई है इससे 50 फुट दूर किला बुर्ज हमामखाना है जिसे बाहर से देखने पर सिर्फ दीवार दिखाई देती है लेकिन जब इसके द्वार मैं प्रवेश करते हैं तो यह आश्चर्य से भरा हुआ है इसका दृश्य बहुत ही सुंदर और अपनी खूबसूरती की मजाल देता है लेकिन लोगों को इसके बारे में अभी तक ज्यादा कुछ पता नहीं है क्योंकि यह दीवार के बाहर की तरफ है इसकी बाहर भी एक और दीवार है इससे पहले शायद इसीलिए दीवार बनाई गई होगी ताकि इसके बारे में किसी को पता ना चले सभी यह समझे कि किले की दीवार सिर्फ यही तक है जिससे जब भी किले पर हमला हो राजा के पास भागने के अलावा कोई और रास्ता ना हो तब इस द्वारका प्रयोग किया जाता होगा
किला बुर्ज हमामखाना
ढोड़ापुर गेट का प्रथम द्वार
द्वितीय द्वार
तृतीय द्वार
ऊपर से नीचे की तरफ
- ढोड़ापुरगेट करण महल के पीछे है इसका निर्माण 15 वी ई. मै करण सिंह ने करवाया था इसका निर्माण राजमहल से दूर करवाया गया है इसकी कोई खास वजह होगी जिसके बारे में कोई उल्लेख नहीं मिला है
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