तानसेन का मकबरा Tansen tomb

September 30, 2019

मोहम्मद गौस का इतिहास

मोहम्मद गौस  एक सूफी संत थे उसके अलावा वह एक संगीतकार भी थे जिनके शिष्य तानसेन जी जो  महान संगीत सम्राट के रूप में जाने जाते हैं

                        मोहम्मद गौस का मकबरा


तानसेन का इतिहास

 तानसेन एक संगीत सम्राट थे जिन्होंने अपने गायन से अच्छी-अच्छी कवियों को भी मात दे दी थी माना जाता है कि तानसेन जी जब गाते तो  पक्षी  चहकना बंद कर दे देते  और उनके पास आकर ऐसी बैठ जाते जैसे बच्ची अपनी मां की गोद में जाकर बैठ जाते हैं और मां की लोरियां आराम से सुनते रहते और वह सो जाते हैं कहा जाता है कि जब वह  गाते तो शीशा चटक जाता था उनकी या कला विश्व प्रसिद्ध है जिसे कोई और नहीं गा सका
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                         शाम का सुनहरा फोटो

अकबरनामा किताब के मुताबिक तानसेन का जन्म 1562 ई में हुआ था तथा वह अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक थे जिन्हें सबसे श्रेष्ठ स्थान प्राप्त  था
 संगीत सम्राट तानसेन के समय मुगल शासन काल के इस समय को स्वर्णिम युग की संज्ञा दी जाती है संगीत सम्राट तानसेन की मृत्यु 1586 ई मे हुई थी  जिनके पार्थिव शरीर को मोहम्मद गौस की दरगाह के पास में ही दफनाया गया इसका कारण था उनकी चाहती थी उनके पार्थिव शरीर को उनकी गुरु की दरगाह के पास ही दफनाया जाए यह माना जाता ह

यह तानसेन का बकरा है जिसमें उनका पार्थिव शरीर दफनाया गया है


 यह तानसेन की मकबरा का चबूतरा है  जिस पर एक इमली का पेड़ है  बताया जाता है कि  जब तानसेन जी  गाने के बाद  उठते तो इमली कि पत्तों को  खाया करते थे कहा जाता है कि इमली के पत्तों को जवानी से सुर मीठा हो जाता था  

मकबरा के सामने पार्क है उसमें नमाज पढ़ने के लिए और भजन कीर्तन के लिए भी सुबह शाम लोग अभी आया करते हैं और यहां पर जब तानसेन का समारोह होता है तो बहुत भीड़ जुड़ जाती है और अपने देश से तो आती ही है लेकिन अन्य देशों से भी अपनी कला दिखाने के लिए यहां पर आते हैं और यह प्रोग्राम डीडी नेशनल पर लाइव चलता है जब तानसेन का समारोह होता है तब यह मकबरा एक आलीशान महल की तरह सजा दिया जाता है जिसे देख कर हर कोई आनंद अनुभूति का अनुभव करता है

कुछ मनमोहक फोटो 

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