इस द्वार का निर्माण कराया गया इस जगह को उरवाई घाटी के नाम से भी जाना जाता था जो उरवाई गेट के नाम से जानी जाती है उरवाई घाटी के दोनों द्वारो के बीच में जैन धर्म के 24 तीर्थ करो की प्रतिमा पहाड़ मैं खोदकर बनाई गई है जोकि आसन मुद्रा में बनाई गई है जिनमें से सबसे बड़ी मूर्ति भगवान आदिनाथ की है जो कि 57 फीट की है प्रतिमाओं पर लिखें अभिलेखों से यह पता लगता है कि यह प्रतिमाओ को तोमर शासक डूंगर के शासनकाल में 15 वी शताब्दी ने बनवाया गया था इसी प्रकार किले की प्रतीक द्वार की प्राचीर के निचले भाग में चट्टानों पर ऐसी मूर्तियां बनवाई गई है
प्रतिमाएं
सीडयो को चढ़ने के बाद प्रतिमाएं स्पष्ट रूप से दिखाई देंगी यहां पर लगभग 40 से 50 प्रतिमाएं हैं जो कि अलग-अलग प्रकार से बनाई गई है तथा कुछ चित्र द्वार पर जो चित्रकला होती है वह भी अंकित है
यहां बहुत सारी मूर्तियां हैं यदि आपको पूरी मूर्तियां देखनी है तो हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें जिसकी लिंक आपको नीचे मिल जाएगी
दोस्तों मैं इसीलिए बोल रहा हूं क्योंकि यह पोस्ट काफी ज्यादा लंबी हो जाएगी
पहाड़ी का खूबसूरत नजारा
यह चित्रकला किसी को भी आश्चर्यचकित कर देगी क्योंकि चट्टान में खोदकर इस प्रकार बनाना नामुमकिन है मूर्तियों से पहले खूबसूरत दरवाजे बनाए गए हैं जिन्हें देखकर मुझे ऐसा लगता है कि यहां किसी मूर्तिकार ने नहीं बल्कि स्वयं भगवान ने इस कला का चित्रण किया है क्योंकि चट्टान में इतनी बड़ी प्रतिमा और बारीक डिजाइन करना इस टाइम पर नामुकिन है
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